आपकी वृश्चिक राशि का फल
सोरमंडल की यह आठवीं राशि है जो कि वृश्चिक राशि के नाम से जानी जाती है। अंग्रेजी में इस राशि को सर्कोपियो कहते हैं। इस राशि का स्वामी मंगल ग्रह है दिन मंगलवार है। इस राशि का रूप तीक्ष्ण डंक वाले बिच्छू के समान है। गुप्त विष युक्त, अजाने मार करने वाली, स्थिर संज्ञक सुनहले वर्ण वाली जल तत्व राशि है। यह दीर्घाकार स्त्री जाति शीर्षोदय, समराशि, दिवस बली कफ प्रकृति, बहु संतति, ब्रह्मण जाति, उत्तर दिशा की स्वामिनी, तमोगुणी, शांत व स्थिर स्वभाव की है। परन्तु छेडे जाने पर प्रतिशोध की भावना नहीं त्याग पाती। इस राशि का स्वभाविक गुण हठ, दम्भ, निर्मलता, दृढ़ प्रतिज्ञता एंव सपष्टवादिता है। इससे शरीर में रीढ़ की हड्डी, कद, लिंग, योनि आदि विचार किया जाता है। इसका रत्न मूंगा व धातु सोना है। इसका भाग्यांक 9 है।
इस राशि में विशाखा नक्षत्र का एक चरण आता है,जिसका स्वामी गुरू है। अनुराधा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं,जिनका स्वामी शनि है। ज्येष्ठा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं, जिनका स्वामी बुध है। यह गंडमूल राशि है वृश्चिक राशि के नाम अक्षर तो-न-नि-नू-ने-थो-या-यू-यि आते हैं। जिनसे आपके नाम का प्रथम अक्षर शुरू होता है।
वृश्चिक राशि के लोग निड़र, बुद्धिमान व धुन के पक्के होते हैं। इनमें भावुकता बहुत होती है। इन्हे गुस्सा आ जाए तो सामने वाले को माफी मंगवा कर छोडते हैं। ये दूसरों की उन्नति को देख जलन महसूस करते हैं व खुद उन्नति के लिए प्रयत्नशील होते हैं। अगर ये जलन महसूस न करे तो आलसी हो जाते हैं। ये बिच्छू जैसे स्वभाव के होते हैं। इनके लिखने का अंदाज सुंदर होता है। इस राशि वालों से दुश्मनी अच्छी नहीं होती। सैक्स के मामले में ये तेज होते हैं औरतों को जल्द आर्किषत कर लेते हैं। इनका जीवन अंदर व बाहर अलग-अलग तरह का होता है। इस राशि की स्त्रीयां निड़र व ताकतवर होती है। लेकिन भावुक व आत्मिक रूप में कमजोर होती है। ये रीति रिवाज के बंधन को नहीं मानती और यह भी जरूरी नहीं कि इनका विवाह रीति रिवाज के अनुसार होता है। इस राशि के अफसर पर बात न माने जाने पर बरसने लगते हैं। कर्मचारी के रूप में ये पक्के निश्चय से काम करते हैं, जो कि इनकी उन्नति का कारण बनता है। ये मेहनती और वफादार होते हैं। ये अपने साथियों में कम लोकप्रिय होते है। आप अपनी राशि के मुताबिक राशि से सम्बंधित इत्र व Perfume की सुगंध का अपने उपर इस्तेमाल करके आप अपने भाग्य को उज्जवल बना पाएगें व अपनी चिंतायों से मुक्ति प्राप्त करेगें। आपकी राशि वृश्चिक होने पर आपके लिए चमेली, निबू व चंदन की सुगंध वाला इत्र व Perfume ज्यादा बेहतर है. इसे आप खास तौर से प्रतियोगिता परीक्षा देने , साक्षात्कार देने , मुक्दमे व यात्रा के समय पर प्रयोग कर अश्चर्य जनक लाभ प्राप्त कर सकते है।
कुज(मंगल) स्तुति
भूमिपुत्रो महातेजा जगतौभयकृत्सदा।
वृष्टिकृद- वृष्टिहर्ता च पीडा़ं दहतु मे कुजः।।
मंगल का जपनीय बीज मन्त्रः- ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं प्रां कं ग्रहाधिपतये भौमाय स्वाहा।
मंगल मन्त्रः- ऊँ ऐं ह्रौं श्रीं प्रां कं ग्रहाधिपतये भौमाय स्वाहा।
जपनीय वृश्चिक राशि मन्त्रः- ऊँ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायणाय नमः।
इस राशि का लक्ष्मी मन्त्रः- ऊँ ऐं क्लीं सौः
आपकी वृश्चिक राशि है
धनु राशि वाले मनुष्य व शहर आप के धन के लिए शुभ है।
मीन राशि वाले मनुष्य व शहर आप के मानसिक शान्ति के लिए शुभ है।
कर्क राशि वाले मनुष्य व शहर आप के भाग्य के लिए शुभ है।
सिंह राशि वाले मनुष्य व शहर आप के व्यवसाय के लिए शुभ है।
कन्या राशि वाले मनुष्य व शहर आप के लाभ के लिए शुभ है।